दो बातन को भूल मत जो चाहत कल्याण, नारायण एक मौत को दूजो श्री भगवान।

कोई कभी भी मर सकता है, किसी क्षण मर सकता हैं, अब वो क्या करेगा ध्यान, क्या करेगा ज्ञान, क्या करेगा साधना और क्या करेगा अराधना?

समय नहीं हैं, सब बल त्याग कर भगवान को पुकारने का अवसर बस इसी क्षण है, अगला क्षण मिले ना मिले, अभी शरणागत हो सकता है जीव, तुरंत, अभी भगवान को पा सकता है, तुरंत, कुछ करने का भी अवसर नहीं है यह मन में बैठा कर फिलिंग करो, करुण क्रंदन करो, पुकारो भगवान को, जो भगवान कभी नहीं मिले, अभी मिल जाएंगे, वो बहुत दयालू हैं, हम अहंकार से भरे हैं इसलिए नहीं मिलते वो…

अनंत पाप हैं हमारे। हम अनंत जन्म में अनंत दुख पा चुके, पा रहें हैं और पाते रहेंगे। हमें समझना है कि हम कितने लाचार हैं, कल्याण कभी अपने बल से, साधना कर के नहीं होता, शरणागति की “मनों स्थिति” लाने से होता है, भगवान के आश्रय से होता है, जो कभी नहीं हुआ वो एक क्षण में होता है, कृपा से होता है।

मनुष्य जन्म अमूल्य है, जन्म-मरण चक्र से निकलने का दुर्लभ अवसर ना चुकें! हर पल भगवान को पुकारें, पता नहीं कब मृत्यु आ जाए, चौरासी लाख में फिर फंस जाएं, कौन सी योनि मिलें, फिर यह मौका मिले ना मिले..