
हज़ारों साधनाए करते रहो, साधन कर कर के अनन्त जन्म बिता दो, लेकिन भगवान नहीं मिलेंगे, भगवान तो शरणागति से मिलते हैं – साधनहीन भाव से मिलते हैं, साधन बल को भुला दो!
“साधनहीन दीन अपनावत” है वो!
“नाथ सकल साधन से हीना”, भीतर से यह भावाना बनानी होगी, करेक्ट, सेंट पर्सेन्ट!
सुनी री मैंने निरबल के बल राम। जब लगि गज बल अपनी बरत्यो, नेक सर्यो नहिं काम। निरबल है बल राम पुकार यो आये आधे नाम…
राधे राधे गाओ रे, हरि गुण गाओ रे, आयेंगे भाजे मोहन, रो के बुलाओ रे।
#Jagadguru_Shri_Kripaluji_Maharaj. #Divine_Saint_Shri_Ghanshyam_Dasji
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