संसार के लोगों को एक बहुत बड़ी भ्रान्ति है। वो यह कि लोग हमारे अनुकूल हैं, हमसे प्रेम करते हैं। लेकिन मैं चैलेंज के साथ कह सकता हूँ की विश्व की एक भी स्त्री अपने पति के सुख के लिए उससे प्यार नहीं कर सकती, अपने सुख के लिए करती है। विश्व का कोई भी पति अपनी स्त्री के सुख के लिए प्यार नहीं कर सकता, अपने सुख के लिए करता है। भावार्थ यह की जब स्त्री पति ही एक दूसरे के लिए प्यार नहीं करते तो और लोग क्या करेंगे। सब एक दूसरे को धोखा दे रहे हैं, और ये नहीं समझते कि जैसे हम इसको धोखे में रखे हैं, ऐसे ही सामने वाला भी हमसे धोखा कर रहा है।
आप लोग कहेंगे की हमारी स्त्री तो हमसे बड़ा प्यार करती है। बस यही तो धोखा है आप लोगों को, जब तक जीव अपना वास्तविक आनंद प्राप्त न कर लेगा, यह असंभव है कि कोई किसी के सुख के लिए लिए कुछ करे। अरे! करना तो दूर सोच तक नहीं सकता, संसार का सब प्यार स्वार्थ आधारित है। स्वार्थ कम,प्यार कम, स्वार्थ अधिक प्यार अधिक, और स्वार्थ हानि ज्यादा हो तो गोली मार देता है बेटा माँ को, स्त्री पति को….! रोज़ पढ़ते हैं आप अखबारों में, न्यूज़ में सुनते हैं। सबका रोज का अनुभव है। अगर सबको एक दूसरे के अंत:करण की, मन की बातें पता चल जायें तो ये संसार आधे घंटे में लड़-कट के समाप्त हो जायें। इतना ज़्यादा जहर एक दूसरे के खिलाफ़ भरा पड़ा है……ये तो acting से इस संसार में सब कार्य चल रहा है….जो जितना बड़ा एक्टर…..जितनी बढ़िया एक्टिंग कर लेगा वो दूसरों को उतना ही ज़्यादा प्रिय लगेगा। लेकिन ध्यान रहे कि कोई एक क्षण के लिए भी किसी का सगा हो ही नहीं सकता। कोई किसी को अच्छा कह नहीं सकता। संसार स्वार्थ सिद्धि का रंगमंच है, यहाँ आनंद है ही नहीं तो मिलेगा कहाँ से।
#जगद्गुरु_श्री_कृपालुजी_महाराज