जैसे हमें कोई प्रेम से पुकारे तो हम उसकी ओर खिच जाते हैं.. वैसे ही हमारी पुकार भगवान को पुलकित करती है। अगर हमारी पुकार में अधीरता और दीनता भी भरी हो तो उनको आना ही पड़ता है!
सरल सुभाव न मन कुटिलाई,
भजत कृपा करिहहिं रघुराई॥
जैसे हमें कोई प्रेम से पुकारे तो हम उसकी ओर खिच जाते हैं.. वैसे ही हमारी पुकार भगवान को पुलकित करती है। अगर हमारी पुकार में अधीरता और दीनता भी भरी हो तो उनको आना ही पड़ता है!
सरल सुभाव न मन कुटिलाई,
भजत कृपा करिहहिं रघुराई॥