Trust God Completely. परमेश्वर पर पूरा भरोसा करें।

God says that your worrying after relying on me is a disbelief in me, a disgrace on surrender, and this is due to your pride. Not having faith and belief in me after taking refuge in me is a distrust against me and worrying about your problems & faults and believing that you have the strength to remove them is your pride. Leave these.

भगवान कहते हैं कि मुझ पर भरोसा करके चिंता करना मुझ पर अविश्वास है, शरणागति पर कलंक है और यह तुम्हारे अभिमान के कारण है। मेरी शरण में आकर मुझ पर श्रद्धा और भरोसा न रखना मेरे प्रति अविश्वास है और अपनी समस्याओं और दोषों के बारे में चिंता करना और यह मानना ​​कि उन्हें दूर करने की शक्ति स्वयं में है, यह तुम्हारा अभिमान है। इन्हें छोड़ दो।

~ Saints Sayings संत वचन
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Don’t rely on yourself, rely on God. अपना नहीं, भगवान का भरोसा करें।

If you are not what you ought to be, you should still not despair…Is He, who created for you this infinite universe that you see, unable to save you?

यदि तुम वह नहीं हो जो तुम्हें होना चाहिए, तो भी तुम्हें निराश नहीं होना चाहिए…क्या वह, जिसने तुम्हारे लिए इन अनंत ब्रह्माण्डो की रचना की, जिने तुम देख रहे हो, तुम्हारें कल्याण करने में असमर्थ है?

~ Saints Sayings संत वचन
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Why fear when you have Hari Har. कैसा डर जब हैं हरि हर।

Worry is an evil in itself and other evils come from it. So, first of all, keep your mind calm and composed by centered on God. Pursue God’s love with faith, peace and ease. Don’t worry, just love Hari.

चिंता अपने आप में एक बुराई है और इससे दूसरी बुराइयाँ भी जन्म लेती हैं। इसलिए सबसे पहले भगवान पर केंद्रित कर मन को शांत और संयमित रखें। भगवद्ग प्रेम का अनुसरण विश्वास, शांति और सहजता से करें। चिंता नहीं, हरि चिंतन करें।

~ Saints Sayings संत वचन
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Trust God Completely. परमेश्वर पर पूरा भरोसा रखें।

Have complete trust in God, leave everything in His hands and believe that His love will work in your favor. Then God will take care of everything, because there is nothing He cannot do; everything is easy for Him. The most difficult thing for man is to humble himself and leave everything to the grace and love of God.

ईश्वर पर पूरा भरोसा रखें, सब कुछ उनके हाथों में छोड़ दें और विश्वास करें कि उनका प्रेम आपके हित में काम करेगा। तब ईश्वर सब कुछ संभाल लेंगे, क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है जो वे न कर सकें; उनके लिए सब कुछ आसान है। मनुष्य के लिए सबसे मुश्किल काम है खुद में दीनता लाना और सब कुछ ईश्वर की कृपा और प्रेम पर छोड़ देना।

~ Saints Sayings संत वचन
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मन कैसे शांत हो? क्या परमानन्द पाना कठिन है? भगवान जल्दी कैसे मिलें?

सबसे सुगम, सरल और सर्वोत्तम साधन – भगवद्ग ज्ञान, प्रेम और शरणागति।

संसार का सुख मायीक है, जड़, नश्वर, क्षणिक, घटमान, दुख मिश्रित एवं अशांति का मूल है। परम सुख परमात्मिक है, दिव्य, शास्वत, प्रति क्षण वर्धमान, नित्य नवीन एवं अनंत है।

संसार का सुख पाना कठिन है, अगर कोई अरबपति बनना चाहे, प्रधानमन्त्री बनना चाहे, हर कोई नहीं कर पाता और पा भी ले तो रख नहीं पाता परंतु परम सुख पाना सरल है, हर कोई पा सकता है और सदा के लिय।

कैसे? जैसे हम जब बीमार होते हैं, बुखार में, दुख में होते हैं तो स्वाभाविक रूप से अपनी माँ को याद करते हैं, अनायास ही मुख से माँ की पुकार होती है, माँ के प्यार की, दुलार की चाह होती है।

वैसे ही जब हम अपनी असली माँ को सच्चे हृदय से “शरणागत” होके पुकारते हैं तो भगवान की कृपा हमें अपने आचल में भर लेती है, अशांत चित में शांति, मन में निर्भयता, निर्लिप्तता और निशोकता आ जाती है, बिना किय ज्ञान, वैराग्य और प्रेम प्रस्फुटित होने लगाता है, मन आनंद में डूबने लगता है।

असली आनंद पाने के लिए केवल चाह चाहिये, प्रबल चाह, भगवान चाह से मिलते हैं, भाव से मिलते हैं, बिना किए मिलते हैं, निर्बल को मिलते हैं, शरणागत को मिलते हैं, प्रेम से मिलते हैं, और प्रेम करना सब कोई जानता है।

किरन का संबंध सूर्य से है, संसार और शरीर के मोह रूपी अंधकार से नहीं। हम पुकारे कि “हे प्रभु, हम आपके हैं पर करने पर भी आपसे प्रेम नहीं होता, ध्यान नहीं होता, मन अज्ञान से भरा है, अशांत हैं, अनंत जन्मों की बिगड़ी मेरे बनाय नहीं बनेगी, अब बस आपका ही सहारा है!

केवल संसार में ड्यूटी करके भगवान की कृपा चाहने से सबकुछ मिल जाता है। इससे सरल कुछ नहीं, केवल भगवान की कृपा पर विश्वास हो, उनसे अपनापन हो, ना हो तो उनसे प्राथना करें, आप केवल उनके हो यह समझ बैठ जाएगी। तब अनन्त जन्मों की बिगड़ी कुछ समय में बन जाएगी।

और अगर हम सोचे यह बहुत कठिन है तो हमको अपना बल है, सर्व समर्थ भगवान को हम अपना नहीं मानते, हम को लगता है करने से कृपा मिलती है, तो फिर जब हम कर कर के थक जाएगें, मर मर के मर जाएगें, तब कभी किसी जन्म में निर्बल होके भगवान को पुकारेंगे।

तो हम अभी क्यों ना पुकारें, उन्हें अपना मान के? बच्चा माँ की गोदी के लिए सदा अधिकारी है, माँ उसके गुण अवगुण नहीं देखती, बस उसे माँ की प्रबल चाह हो तो भगवान तुरंत गोदी में उठा लेंगे, अपना सब कुछ दे देंगे।

बिगरी जन्म अनेक की अबहीं सुधरे आज। होहि राम कौ नाम भजु तुलसी तजि कुसमाज ।। (तुलसीदास, दोहावली २२)